अवैध निर्माण:शून्य सहिष्णुता की निति की आवश्यकता

अवैध निर्माण आज हर शहर के लिए नासूर बन कर उभर रहे है|जहाँ इससे एक और शहरी कानून का उल्लंघन होता है,व्यवस्थित विकास में बाधा उत्त्पन्न होती है  वही दूसरी तरफ यह आम आदमी के बुनियादी और संविधानिक अधिकारों का भी हनन करते है|
आम आदमी अपने आपको उस वक्त ठगा पाता है जब वह यह देखता है कि जो लोकसेवक शहरी विकास और सुव्यवस्थित शहरीकरण के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है वही लोकसेवक अवैध निर्माणों के संरक्षण का कार्य कर रहे है|आज भ्रष्ट राजनेताओं,अफसरशाही और भूमाफियाओं का घटजोड़ शहर में अवैध निर्माणों को दानावल के रूप में फैलने में मदद कर रहा है|
इस भ्रष्ट व्यवस्था में केवल गरीबों और कमजोर लोगो के ही घरौंदे तोड़े जाते है,या फिर उन लोगों के जो इस भ्रष्ट व्यवस्था के मोटे पेट को नहीं भर पाते|
दिलीप कुमार मुखर्जी बनाम बनाम कलकत्ता नगर निगम के सम्बन्ध में दिए गए एक फैसले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अवैध निर्माण के प्रति शून्य सहिष्णुता की आवश्यकता है,और इन्हें किसी भी कीमत पर नहीं बक्शा नहीं जा सकता|
राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा भी अवैध निर्माण के मामलों में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज करने के आदेश दिए है|हाल ही में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा स्थानीय निकायों को शहरों के मास्टर-प्लान के अनुसार ही कार्य करने के आदेश पारित किये गए है|परन्तु इस आदेश की भी सरकारी कारिंदों द्वारा गलियां निकाली जा रही है|

देखा गया है कि जब रियाइशी इलाके में एक व्यक्ति द्वारा अवैध निर्माण किया जाता है तो शुरू में स्थानीय रहवासी इसका विरोध करते है परन्तु भ्रष्ट राजनेताओं,अफसरशाही और भूमाफियाओं के घटजोड़ के फलस्वरूप अपने घुटने टेकने लग जाते है, या स्वयं भी इस तरह की गतिविधियों का हिस्सा बनने लगते है|आज जरुरत ऐसे लोगो के संगठित होने की है जो अवैध निर्माण को भ्रष्टाचार मानते है और किसी भी सूरत में इनसे लड़ाई जारी रखने के लिए दृढ संकल्पित है|

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